विजयादशमी के अवसर पर मैसूर महल में वज्रमुष्टि कलागा (कुश्ती) का आयोजन किया गया. यह प्राचीन परंपरा, जिसे वज्रमुष्टि के नाम से जाना जाता है, मैसूर की रॉयल फैमिली में एक पोषित परंपरा है, जो महाभारत के समय से कृष्ण के समय तक फैली हुई है. वज्रमुष्टि, जिसे अक्सर भारतीय कुश्ती की जड़ों में से एक माना जाता है, का अर्थ होता है ‘वज्र’ और ‘मुष्टि’. वज्र का अर्थ है शक्तिशाली और मुष्टि का अर्थ है हाथ या कुश्ती. यह कुश्ती का एक ऐसा प्रकार है, जिसमें ताकत, कौशल और रणनीति का अद्भुत मेल होता है. यह प्रथा न केवल शारीरिक फिटनेस के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह मानसिक मजबूती और अनुशासन को भी बढ़ावा देती है.