शासन द्वारा सरकारी अस्पतालों में प्रतिमाह लाखों रुपये की दवाओं की आपूर्ति की जा रही है। बावजूद इसके तीमारदारों व मरीजों को बाहर से महंगी दवाओं की खरीदारी करनी पड़ रही है। मरीजों के सरकारी पर्चों के साथ एक पर्ची पर बाहर की दवाएं लिखने से चिकित्सक परहेज नहीं कर रहे हैं जिससे मरीजों की जेब कट रही है। वही शासन की मंशा पर पानी फिर रहा है।लोगों ने सीएमओ से जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है।