तीन मई से अधिवक्ताओं के आंदोलन के चलते तहसील में निबंधन और न्यायिक कार्य पूरी तरीके से ठप है, अधिवक्ताओं के चैंबर वीरान पड़े हैं, रजिस्ट्री दफ्तरों में सन्नाटा पसरा है, अधिवक्ता सुबह से ही रजिस्ट्री दफ्तर के समक्ष धरने पर बैठते हैं सरकार से निबंधन कार्य निजी हाथों में देने के निर्णय को लेने की मांग करते हैं, जब रजिस्ट्री दफ्तर बंद हो जाते हैं तो घर वापस लौट जाते हैं तीन मई से ये दिनचर्या प्रदेश में लाखों घरों के लिए परेशानी का सबब बन गयी है और सरकार को भी लाखों रुपये के राजस्व की हानि हो रही है।
